वह मनुष्यों द्वारा निन्दित एवं तिरस्कृत था.
शोक का मारा और अत्यंत दुखी था.
लोग जिन्हें देख कर मुँह फेर लेते हैं.
उनकी तरह ही वह तिरस्कृत और तुच्छ समझा जाता था.
परन्तु वह हमारे ही रोगों को अपने ऊपर ले लेता था.
और हमारे ही दुखों से लदा हुआ था.
और हम उसे दण्डित,
ईश्वर का मारा हुआ और तिरस्कृत समझते थे.
हमारे पापों के कारण वह छेदित किया गया है.
हमारे कुकर्मों के कारण वह कुचल दिया गया है.
जो दंड भोगता था,
उसके कारण हमें शांति मिली है.
और उसके घावों द्वारा हम भले चंगे हो गए हैं.
हम सब अपना अपना रास्ता पकड़कर भेड़ों की तरह भटक रहे थे.
उसी पर प्रभु ने हम सबों के पापों का भार डाला है.
वह अपने पर किया गया अत्याचार धैर्य से सहता गया,
और चुप रहा.
वध के लिए ले जाये जाने वाले मेमने की तरह,
और ऊन कतराने वाले के सामने चुप रहने वाली भेड़ के तरह उसने अपना मुँह नहीं खोला.
वे उसे बंदीगृह और अदालत ले गए.
कोई उसकी परवाह नहीं करता था.
वह जीवितों के बीच से उठा लिया गया है.
और वह अपने लोगों के पाप के कारण मारा गया है.
यद्यपि उसने कोई अन्याय नहीं किया था.
उसके मुँह से कभी छल कपट की बातें नहीं निकली थीं.
फिर भी उसकी कब्र विधर्मियों के बीच बनायी गयी.
और वह धनियों के साथ दफनाया गया है.
क्योंकी
वह आप में से हर एक को प्रेम करते हैं.
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