बुधवार, 30 मई 2018

परमप्रसाद की स्थापना

उनके भोजन करते समय ईसा ने रोटी ले ली और धन्यवाद की प्रार्थना पढ़ने के बाद उसे तोड़ा और उसे यह कहते हुए शिष्यों को दिया `ले लो और खाओ।  यह मेरा शरीर है। ' तब उन्होंने प्याला ले कर धन्यवाद की प्रार्थना पढ़ी और यह कहते हुए शिष्यों को दिया `तुम सब इसमें से पियो क्यूंकि यह मेरा रक्त है विधान का रक्त जो बहुतों की पाप क्षमा के लिए बहाया जा रहा है। 
[Mt 26:26-28]


मंगलवार, 29 मई 2018

`प्रभु ईसा को जीवन समर्पित प्रार्थना

हे ईश्वर हम आपसे प्रार्थना करते हैं की आप हमारे विचारों को शुद्ध करिये
प्रभु ईसा हमारे मस्तिष्क में नकारात्मक विचार ना आएं
हम जानते हैं की हमारे  जीवन में अनेक कठिनाइयाँ और चुनौतियाँ हैं
प्रभु ईसा हमारी सहायता करिये की हम आप में विश्वास करें और हमारा विश्वास बढ़ाता जाये 
हम अपना जीवन आपके चरणों में अर्पित करते हैं
हम अपना भविष्य आपके प्रेम और विश्वास के सहारे
आपके मार्गदर्शन के लिए अर्पित करते हैं
हमें धैर्य , संयम , प्रेम और विश्वास का वरदान दीजिये
हमें संरक्षण प्रदान करिये।




सोमवार, 28 मई 2018

प्रभु ईसा -सच्चे ईश्वर और सच्चे मनुष्य

प्रभु ईसा के रूप में सर्वशक्तिमान ईश्वर हममें से एक बन गए और प्रभु ईसा हमारे भाई बने।  फिर भी वे ईश्वर हैं।  प्रभु ईसा  में दिव्यता और मनुष्यता दोनों बिना किसी विभाजन या संशय के एक हैं।  कलीसिया ने लम्बे समय तक इस समस्या का सामना किया की वे प्रभु ईसा में दिव्यता और मानवता का सम्बन्ध कैसे अभिव्यक्त करें।  दिव्यता और मानवता परस्पर प्रतिस्पर्धा में नहीं है जो प्रभु ईसा को आंशिक ईश्वर या आंशिक मानव बनाये।  ना ही प्रभु ईसा में दिव्यता और मानवता का भ्रम है।  सर्वशक्तिमान ईश्वर ने प्रभु ईसा में मनुष्य रूप धारण किया।  प्रभु ईसा में दो व्यक्ति -दिव्य और मनुष्य नहीं थे।  ना ही उनका स्वाभाव पूर्णतः दिव्य था।  इन सब के विपरीत कलीसिया विश्वास करती की प्रभु ईसा एक ही व्यक्ति में सच्चे ईश्वर और सच्चे मनुष्य हैं। 

रविवार, 27 मई 2018

प्रभु ईसा

ईसा का यहूदी भाषा में अर्थ है `ईश्वर रक्षा करेंगे '  प्रेरित चरित में पेत्रुस ने कहा है `किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा मुक्ति नहीं मिल सकती , क्यूंकि समस्त संसार में ईसा नाम के सिवा कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया है, जिसके द्वारा हमें मुक्ति मिल सकती है।  `प्रभु ईसा मसीह हैं ' यह संक्षिप्त सूत्र ईसाई विश्वास का केंद्र है। 


मंगलवार, 22 मई 2018

बाइबिल पढ़ने का सही तरीका

पवित्र ग्रंथ पढ़ने का सही तरीका यह है की पवित्र ग्रंथ को प्रार्थनापूर्वक पढ़ा जाये क्यूंकि पवित्रात्मा की प्रेरणा से ही पवित्र ग्रंथ अस्तित्व में आये। पवित्र ग्रंथ ईश्वर का वचन है और उनमें ईश्वर का हमसे आवश्यक संवाद है। 
बाइबिल हममें से हर एक को लिखा लम्बा पत्र है।  इसी कारण हमें पवित्र ग्रंथ को प्रेम तथा श्रद्धा से अपनाना चाहिए।  सबसे पहले ईश्वर का पत्र पढ़ना महत्वपूर्ण है, दूसरे शब्दों में सम्पूर्ण सन्देश  को ध्यानपूर्वक पढ़ना न की विवरण को चुनना।  फिर हमें सम्पूर्ण सन्देश की व्याख्या प्रभु ईसा जो की इसका केंद्र एवं रहस्य हैं, के अनुरूप करना चाहिए क्यूंकि पवित्र ग्रंथ - पुराण विधान भी प्रभु ईसा के बारे में ही कहता है।  अतः हमें पवित्र ग्रंथ विश्वास से पढ़ना चाहिए क्यूंकि विश्वास से ही उनका उदय हुआ, वही विश्वास जो कलीसिया का जीवंत विश्वास है। 


सोमवार, 21 मई 2018

विनम्रता

यदि तुम्हारा सेवक हल जोत  कर या ढोर चरा  कर खेत से लोटता है तो तुम मैं ऐसा कौन है जो उससे कहेगा आओ तुरंत भोजन करने बैठ जाओ।  क्या वह उस से यह नहीं कहेगा `मेरा भोजन तैयार करो।  जब तक मेरा खाना पीना न हो जाये कमर कस कर परोसते रहो।  बाद में तुम भी खा-पी लेना।  क्या स्वामी को उस नौकर को इसलिए धन्यवाद देना चाहिए की उसने उसकी आज्ञा का पालन किया है।  तुम भी ऐसे ही हो।  सभी आज्ञाओं का पालन करने के बाद तुम को कहना चाहिए `हम अयोग्य सेवक भर हैं, हमने अपना कर्तव्य मात्र पूरा किया है। 
[Lk 17:7-10]



रविवार, 20 मई 2018

Christian Prayer

Christian prayer is prayer in the attitude of faith, hope and charity. It is persevering and resigns itself to the will of God. Someone who prays as a Christian steps at that moment out of himself and enters into an attitude of trusting faith in the one God and Lord at the same time he places all his hope in God-that He will hear, understand, accept and perfect him. St John Bosco once said `to know the will of God three things are required:prayer, waiting, taking counsel. Finally Christian prayer is always and expression of love, which comes from Christ's love and seeks the divine love.
[Source Youcat]

शुक्रवार, 18 मई 2018

सब से बड़ी आज्ञा

किसी दिन एक शास्त्री आया और ईसा की परीक्षा करने के लिए उसने यह पूछा `गुरुवर अनंत जीवन का अधिकारी होने के लिए मुझे क्या करना चाहिए'  ईसा ने उस से कहा `संहिता में क्या लिखा है ' तुम उस में क्या पढ़ते हो? उसने उत्तर दिया `अपने प्रभु - ईश्वर को अपने सारे ह्रदय अपने सारी आत्मा, अपनी सारी शक्ति और अपनी सारी बुद्धि से प्यार करो और अपने पडोसी को अपने समान प्यार करो।  ईसा ने उससे कहा `तुमने ठीक उत्तर दिया।  यही करो और तुम जीवन प्राप्त करोगे। 
[Lk 10:25-28]
  

गुरुवार, 17 मई 2018

Holy Spirit helps us to pray

The Bible says `We do not know how to pray as we ought, but the Spirit himself intercedes for us with sighs too deep for words [Rom 8:26]
Praying to God is possible only with God. It is not primarily our accomplishment that our prayer actually reaches God. We Christians have received the Spirit of Jesus who wholeheartedly yearned to be one with the Father to be loving at all times to listen to each other thoroughly to want wholeheartedly what the other person wants. This Holy Spirit of Jesus is in us and he is speaking through us when we pray. Basically prayer means that from the depths of my heart God speaks to God. The Holy Spirit helps our spirit to pray. Hence we should say again and again `Come Holy Spirit come help me to pray.

मंगलवार, 15 मई 2018

पवित्रात्मा के वरदान

कोई पवित्रात्मा की प्रेरणा के बिना यह नहीं कह सकता की `ईसा ही प्रभु हैं '  कृपादान तो नाना प्रकार के होते हैं , किन्तु आत्मा एक ही है।  सेवाएं तो नाना प्रकार की होती हैं किन्तु प्रभु एक ही है।  प्रभावशाली कार्य तो नाना प्रकार के होते हैं किन्तु एक ही ईश्वर द्वारा सबों में सब कार्य संपन्न होते हैं। वह प्रत्येक को वरदान देता है जिससे वह सबों के हित के लिए पवित्रात्मा को प्रकट करे।  किसी को आत्मा के द्वारा प्रज्ञा के शब्द मिलते हैं, किसी को उसी आत्मा द्वारा ज्ञान के शब्द मिलते हैं और किसी को उसी आत्मा द्वारा विश्वास मिलता है।  वही आत्मा किसी को रोगियों को चंगा करने का, किसी को चमत्कार दिखने का, किसी को भविष्यवाणी करने का, किसी को आत्माओं की परख करने का , किसी को भाषाएँ बोलने का और किसी को भाषाओँ की व्याख्या करने का वरदान देता है।  वह अपनी इच्छा के अनुसार प्रत्येक को अलग अलग वरदान देता है। 
[1Cor 12:3-11]


रविवार, 13 मई 2018

ईश्वरीय वरदानों का सदुपयोग

उस वरदान के अधिकार से जो मुझे प्राप्त हो गया है , मैं आप आप लोगों में हर एक से यह कहता हूँ -अपने को औचित्य से अधिक महत्व मत दीजिये।  ईश्वर द्वारा प्रदत्त विश्वास की मात्रा के अनुरूप हर एक को अपने विषय में संतुलित विचार रखना चाहिए।  जिस प्रकार हमारे एक शरीर में अनेक अंग होते हैं और सब अंगों का कार्य एक नहीं होता उसी प्रकार हम अनेक होते हुए भी मसीह में एक ही शरीर और एक दूसरे के अंग होते हैं। हम को प्राप्त अनुग्रह के अनुसार हमारे वरदान भी भिन्न भिन्न होते हैं।  हमें भविष्यवाणी का वरदान मिला तो विश्वास के अनुरूप उसका उपयोग करें, सेवा कार्य का वरदान मिला तो सेवा कार्य में लगे रहें।  शिक्षक शिक्षा देने में और उपदेशक उपदेश देने में लगे रहें।  दान देने वाला उदार हो , अध्यक्ष कर्मठ हो और परोपकारक प्रसन्नचित्त हो। 
[Rom 12:3-8]

शुक्रवार, 11 मई 2018

पुनरुत्थान में दृढ़ विश्वास

यही कारण  है की हम हिम्मत नहीं हारते।  हमारी शरीर की शक्ति भले ही क्षीण होती जा रही हो किन्तु हमारे आभ्यंतर में दिन प्रतिदिन नए जीवन का संचार होता रहता है।  क्यूंकि हमारी क्षण भर की हल्की से मुसीबत हमें हमेशा के लिए अपार महिमा दिलाती है।  इसलिए हमारी आंखें दृश्य पर नहीं बल्कि अदृश्य चीज़ों पर टिकी हुई है क्यूंकि हम जो चीज़ें देखते हैं वे अकाल्पनिक हैं।  अनदेखी चीज़ें अनंतकाल तक बनी रहती है। 

[2Cor4:16-18]

गुरुवार, 10 मई 2018

पवित्र आत्मा द्वारा पवित्रीकरण

जो लोग इसा मसीह से संयुक्त हैं उनके लिए अब कोई दंडाज्ञा नहीं रह गयी है क्यूंकि आत्मा के विधान ने जो इसा मसीह द्वारा जीवन प्रदान करता है मुझ को पाप तथा मृत्यु की अधीनता से मुक्त कर दिया है।  मानव स्वभाव की दुर्बलता के कारन मूसा की संहिता जो कार्य करने मैं असमर्थ थी वह कार्य ईश्वर ने कर दिया है।  उसने पाप के प्रायश्चित के  लिए अपने पुत्र को भेजा जिसने पापी मनुष्य के सदृश्य शरीर धारण किया।  इस प्रकार ईश्वर ने मानव शरीर में पाप को दण्डित किया है जिससे हम में जो की शरीर के अनुसार नहीं बल्कि आत्मा के अनुसार आचरण करते हैं -संहिता की धार्मिकता पूर्णता तक पहुंच जाये।
[Rom 8:1-4]


बुधवार, 9 मई 2018

ईश्वर की प्रज्ञा

हम उन लोगों के बिच प्रज्ञा की बातें करतें हैं जो परिपक्व हो गए हैं।  यह प्रज्ञा न तो इस संसार की है और न इस संसार के अधिपतियों की जो समाप्त होने को है।  हम ईश्वर की उस रहस्यमय प्रज्ञा और उद्देश्य की घोषणा करते हैं जो अब तक गुप्त रहे जिन्हें ईश्वर ने संसार की सृष्टि से पहले ही हमारी महिमा के लिए निश्चित किया था और जिन को संसार के अधिपतियों में किसिस ने नहीं जाना।  यदि वे लोग उन्हें जानते तो महिमामय प्रभु को क्रूस पर नहीं चढ़ाते।  हम उन बातों के विषय में बोलते हैं जिनके सम्बन्ध में धर्मग्रंथ यह कहता है - ईश्वर ने अपने भक्तों के लिए जो तैयार किया है उस को किसी ने कभी देखा नहीं किसी ने सुना नहीं और न कोई उसकी कल्पना ही कर पाया। ईश्वर ने अपने आत्मा द्वारा हम पर वही प्रकट किया है क्यूंकि आत्मा सब कुछ की ईश्वर के पास रहस्य की भी थाह लेता है। 


मंगलवार, 8 मई 2018

भला गड़ेरिया मैं हूँ

भला गड़ेरिया मैं हूँ।  भला गड़ेरिया अपनी भेड़ों के लिए अपने प्राण दे देता है।  मजदूर जो न भेड़िया है और न भेड़ों का मालिक भेड़िये को आते देख भेड़ों को छोड़ कर भाग जाता है और भेड़िया उन्हें लूट ले जाता और तीतर बितर कर देता है।  मजदूर भाग जाता है क्यूंकि वह तो मजदूर है और उसे भेड़ों की कोई चिंता नहीं। 
भला गड़ेरिया मैं हूँ।  जिस तरह पिता मुझे जानता है और मैं पिता को जानता हूँ उसी तरह मैं अपनी भेड़ों को जानता हूँ और भेड़ें मुझे जानती है।  मैं भेड़ों के लिए अपना जीवन अर्पित करता हूँ।  मेरी और भी भेड़ें हैं जो इस भेड़शाला में नहीं हैं।  मुझे उन्हें भी ले आना है।  वे भी मेरी आवाज़ सुनेंगी।  तब एक ही झुंड होगा और एक ही गड़ेरिया। 
[Jn 10:11-16]

सोमवार, 7 मई 2018

पवित्र ग्रन्थ में मित्रता

बुरी संगति से अच्छा चरित्र भ्रष्ट होता है 
[1Cor15:33]

जिसके बहुत साथी हैं उसका सत्यानाश हो जाता है, किन्तु अकेला मित्र भाई से भी अधिक निष्ठावान है।  
[Pro 18:24]

मेरी आज्ञा यह है जिस प्रकार मैंने तुम लोगों को प्यार किया है  तुम भी एक दूसरे को प्यार करो।  इससे बड़ा प्रेम किसी का नहीं की कोई अपने मित्रों के लिए अपने प्राण अप्रीत कर दे।  यदि तुम लोग मेरी आज्ञाओं का पालन करते हो तो तुम मेरे मित्र हो।  
[Jn 15:14]

ऐसे भरी भोझ धोने में एक दूसरे की सहायता करें और इस प्रकार मसीह की विधि पूरी करें।  
[Gal 6:2]

कोई केवल अपने हित का नहीं बल्कि दूसरों के हित का भी ध्यान रखे।  
[Ph 2:4]


शुक्रवार, 4 मई 2018

स्वर्णिम नियम

दूसरों से अपने प्रति जैसा व्यवहार चाहते हो तुम भी उनके प्रति वैसा ही व्यवहार किया करो।  यही संहिता और नबियों की शिक्षा है।

[Mt 7:12]

जो मुझे मनुष्यों के सामने स्वीकार करेगा उसे मैं भी अपने स्वर्गिक पिता के सामने स्वीकार करुगाँ।
[10:32]


गुरुवार, 3 मई 2018

सुसमाचार के प्रचार के लिए प्रार्थना

हे ईश्वर हम शक्ति प्रदान करिये की हम प्रभु ईसा के विश्वास में बढ़ते जाएँ
हम पूर्ण ह्रदय से प्रभु ईसा का अनुसरण कर सकें
हम तब भी वचन का अनुसरण कर सकें जब क्रूस का सन्देश बहुत कठिन लगे
हम स्वयं को प्रभु ईसा के चरणों में समर्पित कर दे
विश्वास और निडरता के साथ सुसमाचार की घोषणा करें
हम यह समझ सकें की यदि प्रभु ईसा हमारे साथ हैं तो हमें डरने की कोई बात नहीं है।


मंगलवार, 1 मई 2018

Thoughts -St Thomas Aquinas

जो विश्वास करता है उसके लिए कोई व्याख्या की आवश्यकता नहीं और जो विश्वास नहीं करता उसके लिए कोई व्याख्या संभव नहीं।

हे प्रभु मुझे ऐसी प्रज्ञा प्रदान करिये की मैं आपको समझ सकूँ , ऐसा हृदय जो आपकी लालसा करे, ऐसी बुद्धि जो आपके दर्शन के लिए लालायित रहे, ऐसा आचरण जो आपको प्रसन्न करे,  आपकी प्रतीक्षा में विश्वासपूर्ण दृढ़ता और आप में आश्रय पाने की आशा प्रदान करिये।

मनुष्य की मुक्ति के लिए तीन चीज़ें आवश्यक हैं -हमें क्या विश्वास होना चाहिए , हमें किसके इच्छा होनी चाहिए और हमें क्या करना चाहिए।

अगर आप सोच रहे हैं की मुझे किस मार्ग पर चलना चाहिए तो आपको प्रभु ईसा का अनुसरण करना चाहिए क्यूंकि वे स्वयं मार्ग हैं।