किसी बात की चिंता न करें। हर जरुरत में प्रार्थना करें और विनय तथा धन्यवाद के साथ ईश्वर के सामने अपने निवेदन प्रस्तुत करें। और ईश्वर की शांति जो हरी समझ से परे है आपके हृदयों और विचारों को ईसा मसीह में सुरक्षित रखेगी।
[Ph 4:6]
संत पॉल प्रार्थना पर अपने विचार बताते हैं। संत पॉल कहते हैं की प्रार्थना कैसी होनी चाहिए। प्रार्थना ईश्वर से सीधी बात है। हम सरल भाषा में प्रभु ईसा से बात कर सकते हैं। प्रभु ईसा के पवित्र चरणों में हर चिंता समर्पित कर सकते हैं। संत पॉल कहते हैं की हम जो भी कहें साथ में विनय और धन्यवाद अर्पित करें। विनम्रता ईश्वर को प्रिय है। माता मरियम ने भी विनम्रतापूर्वक ईश्वर की इच्छा को हाँ कहा और वे ईश्वर की प्रिय बनी। प्रभु ईसा ने हमें हे हमारे पिता प्रार्थना सिखाई है। जो आदर्श प्रार्थना है।
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संत पॉल प्रार्थना पर अपने विचार बताते हैं। संत पॉल कहते हैं की प्रार्थना कैसी होनी चाहिए। प्रार्थना ईश्वर से सीधी बात है। हम सरल भाषा में प्रभु ईसा से बात कर सकते हैं। प्रभु ईसा के पवित्र चरणों में हर चिंता समर्पित कर सकते हैं। संत पॉल कहते हैं की हम जो भी कहें साथ में विनय और धन्यवाद अर्पित करें। विनम्रता ईश्वर को प्रिय है। माता मरियम ने भी विनम्रतापूर्वक ईश्वर की इच्छा को हाँ कहा और वे ईश्वर की प्रिय बनी। प्रभु ईसा ने हमें हे हमारे पिता प्रार्थना सिखाई है। जो आदर्श प्रार्थना है।
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