शुक्रवार, 6 अप्रैल 2018

सेवा प्रभु को प्रिय

प्रभु ईसा आप हमें अपनी शरण में ले लीजिये और हमारे विचारों को पवित्र करिये।  विचार............................ 
 हर कार्य की शुरुआत यहीं से होती है।  `सेवा का विचार ' हम अपने हृदयों में बीजारोपित कर लें तो हम उस मार्ग पर हैं जो प्रभु ईसा ने हमें बताया है।  हम अपने विचारों नम्र और पवित्र बनें  तो हम प्रभु ईसा के बताये मार्ग पर हैं।  `जिसे जो वरदान मिला है वह - ईश्वर के बहुविध अनुग्रह के सुयोग्य भंडारी की तरह - दूसरों की सेवा में उसका उपयोग करे। '


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