मंगलवार, 26 जून 2018

विधाता पर भरोसा

उन्होंने अपने शिष्यों से कहा `इसलिए मैं तुम लोगों से कहता हूँ चिंता मत करो-न अपने जीवन निर्वाह की की हम क्या खाएं और न अपने शरीर की कि हम क्या पहनें क्यूंकि जीवन भोजन और शरीर कपड़ों से बाद कर है।  कौओं को देखो।  वे न तो बोते हैं और न लूंटे हैं उनके न तो भंडार हैं न बखार।  फिर भी ईश्वर उनको खिलता है।  तुम पक्षियों से कहीं बढ़ कर हो।  चिंता करने से तुम में से कौन अपने आयु घड़ी भर भी बढ़ा सकता है।  यदि तुम इतना भी नहीं कर सकते तो फिर दूसरी बातों की चिंता क्यों करते हो।  फूलों को देखो।  वे कैसे बढ़ते हैं।  वे न तो श्रम करते और न कातते हैं।  फिर भी मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ की सुलेमान अपने पुरे ठाट बाट में उन में से एक की भी बराबरी नहीं कर सकता था।  खेतों की घास आज भर है और कल चूल्हे में झोंक दे जाएगी।  उसे भी यदि ईश्वर इस प्रकार सजता है तो अल्पविश्वासियों व तुम्हें क्यों नहीं पहनायेगा।  इसलिए खाने पीने की खोज में लगे रह कर चिंता मत करो।  इन सब चीज़ों की खोज में संसार के लोग लगे रहते हैं।  तुम्हारा पिता जानता है की तुम्हें इनकी जरुरत है।  इसलिए उसके राज्य की खोज में लगे रहो।  ये सब चीज़ें तुम्हें यों ही मिल जायेंगीं।  छोटे झुण्ड डरो मत क्यूंकि तुम्हारे पिता ने तुम्हें राज्य देने की कृपा की है। 


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