फिर ईसा ने अपने निमंत्रण देने वाले से कहा ` जब तुम दोपहर या शाम का भोज दो तो न तो अपने मित्रों को बुलाओ और न अपने भाइयों को न अपने कुटुम्बियों को और न धनी पड़ोसियों को। कहीं ऐसा न हो की वे भी तुम्हें निमंत्रण दे कर बदला चुका दें। पर जब तुम भोज दो तो कंगालों ,लूलों ,लंगड़ों और अंधों को बुलाओ। तुम धन्य होगें की बदला चुकाने के लिए उनके पास कुछ नहीं है क्यूंकि धर्मियों के पुनरुत्थान के समय तुम्हारा बदला चुका दिया जायेगा।
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