आप लोग अपने मनोभावों को ईसा मसीह के मनोभावों के अनुसार बना लें। वह वास्तव में ईश्वर थे और उन को पूरा अधिकार था की वह ईश्वर की बराबरी करें फिर भी उन्होंने दास का रूप धारण कर तथा मनुष्यों के समान बन कर अपने को दीन हीन बना लिया। और उन्होंने मनुष्य का रूप धारण करने के बाद मरण तक हाँ क्रूस पर मरण तक आज्ञाकारी बन कर अपने को और भी दीन बना लिया। इसलिए ईश्वर ने उन्हें महान बनाया और उन को वह नाम प्रदान किया जो सब नामों में श्रेष्ठ है जिससे ईसा का नाम सुन कर आकाश पृथ्वी तथा अधोलोक के सब निवासी घुटने टेकें और पिता की महिमा के लिए सब लोग यह स्वीकार करें की ईसा मसीह प्रभु हैं।
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