गुरुवार, 5 जुलाई 2018

Feast of Seventy Disciples of Jesus

बहत्तर शिष्यों का प्रेषण
इसके बाद प्रभु ने अन्य बहत्तर शिष्य नियुक्त किये और जिस -जिस नगर और गांव में वे स्वयं जाने वाले थे वहां दो-दो करके उन्हें अपने आगे भेजा।  उन्होंने उन से कहा `फसल तो बहुत है परन्तु मजदूर थोड़े हैं इसलिए फसल के स्वामी से विनती करो कि वह अपने फसल कटाने के लिए मजदूरों को भेजे।  जाओ मैं तुम्हें भेड़ियों के बीच भेड़ों की तरह भेजता हूँ। तुम न थैली न झोली और न जुटे ले जाओ और रस्ते में किसी को नमस्कार मत करो।  जिस घर में प्रवेश करते हो सब से पहले यह कहो `इस घर को शांति ' यदि वहां कोई शांति के योग्य होगा तो उस पर तुम्हारी शांति ठहरेगी नहीं तो वह तुम्हारे पास लौट आएगी।  उसी घर में ठहरे रहो और उनके पास जो हो वही खाओ पीओ क्यूंकि मजदूर को मजदूरी का अधिकार है।  घर पर घर बदलते न रहो।  जिस नगर में प्रवेश करते हो और लोग तुम्हारा स्वागत करते हैं तो जो कुछ तुम्हें परोसा जाय वही खा लो।  वहां के रोगियों को चंगा करो और उन से कहो `ईश्वर का राज्य तुम्हारे निकट आ गया है।  परन्तु यदि किसी नगर में प्रवेश करते हो और वहां के लोग तुम्हारा स्वागत नहीं करते तो वह के बाजारों में जा कर कहो `अपने पैरों में लगी तुम्हारे नगर की धूल तक हम तुम्हारे सामने झाड़ देते हैं।  तब भी यह जान लो की ईश्वर का राज्य आ गया है।  

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