सोमवार, 7 मई 2018

पवित्र ग्रन्थ में मित्रता

बुरी संगति से अच्छा चरित्र भ्रष्ट होता है 
[1Cor15:33]

जिसके बहुत साथी हैं उसका सत्यानाश हो जाता है, किन्तु अकेला मित्र भाई से भी अधिक निष्ठावान है।  
[Pro 18:24]

मेरी आज्ञा यह है जिस प्रकार मैंने तुम लोगों को प्यार किया है  तुम भी एक दूसरे को प्यार करो।  इससे बड़ा प्रेम किसी का नहीं की कोई अपने मित्रों के लिए अपने प्राण अप्रीत कर दे।  यदि तुम लोग मेरी आज्ञाओं का पालन करते हो तो तुम मेरे मित्र हो।  
[Jn 15:14]

ऐसे भरी भोझ धोने में एक दूसरे की सहायता करें और इस प्रकार मसीह की विधि पूरी करें।  
[Gal 6:2]

कोई केवल अपने हित का नहीं बल्कि दूसरों के हित का भी ध्यान रखे।  
[Ph 2:4]


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