पवित्र ग्रंथ पढ़ने का सही तरीका यह है की पवित्र ग्रंथ को प्रार्थनापूर्वक पढ़ा जाये क्यूंकि पवित्रात्मा की प्रेरणा से ही पवित्र ग्रंथ अस्तित्व में आये। पवित्र ग्रंथ ईश्वर का वचन है और उनमें ईश्वर का हमसे आवश्यक संवाद है।
बाइबिल हममें से हर एक को लिखा लम्बा पत्र है। इसी कारण हमें पवित्र ग्रंथ को प्रेम तथा श्रद्धा से अपनाना चाहिए। सबसे पहले ईश्वर का पत्र पढ़ना महत्वपूर्ण है, दूसरे शब्दों में सम्पूर्ण सन्देश को ध्यानपूर्वक पढ़ना न की विवरण को चुनना। फिर हमें सम्पूर्ण सन्देश की व्याख्या प्रभु ईसा जो की इसका केंद्र एवं रहस्य हैं, के अनुरूप करना चाहिए क्यूंकि पवित्र ग्रंथ - पुराण विधान भी प्रभु ईसा के बारे में ही कहता है। अतः हमें पवित्र ग्रंथ विश्वास से पढ़ना चाहिए क्यूंकि विश्वास से ही उनका उदय हुआ, वही विश्वास जो कलीसिया का जीवंत विश्वास है।
बाइबिल हममें से हर एक को लिखा लम्बा पत्र है। इसी कारण हमें पवित्र ग्रंथ को प्रेम तथा श्रद्धा से अपनाना चाहिए। सबसे पहले ईश्वर का पत्र पढ़ना महत्वपूर्ण है, दूसरे शब्दों में सम्पूर्ण सन्देश को ध्यानपूर्वक पढ़ना न की विवरण को चुनना। फिर हमें सम्पूर्ण सन्देश की व्याख्या प्रभु ईसा जो की इसका केंद्र एवं रहस्य हैं, के अनुरूप करना चाहिए क्यूंकि पवित्र ग्रंथ - पुराण विधान भी प्रभु ईसा के बारे में ही कहता है। अतः हमें पवित्र ग्रंथ विश्वास से पढ़ना चाहिए क्यूंकि विश्वास से ही उनका उदय हुआ, वही विश्वास जो कलीसिया का जीवंत विश्वास है।
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