सोमवार, 21 मई 2018

विनम्रता

यदि तुम्हारा सेवक हल जोत  कर या ढोर चरा  कर खेत से लोटता है तो तुम मैं ऐसा कौन है जो उससे कहेगा आओ तुरंत भोजन करने बैठ जाओ।  क्या वह उस से यह नहीं कहेगा `मेरा भोजन तैयार करो।  जब तक मेरा खाना पीना न हो जाये कमर कस कर परोसते रहो।  बाद में तुम भी खा-पी लेना।  क्या स्वामी को उस नौकर को इसलिए धन्यवाद देना चाहिए की उसने उसकी आज्ञा का पालन किया है।  तुम भी ऐसे ही हो।  सभी आज्ञाओं का पालन करने के बाद तुम को कहना चाहिए `हम अयोग्य सेवक भर हैं, हमने अपना कर्तव्य मात्र पूरा किया है। 
[Lk 17:7-10]



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें