कोई पवित्रात्मा की प्रेरणा के बिना यह नहीं कह सकता की `ईसा ही प्रभु हैं ' कृपादान तो नाना प्रकार के होते हैं , किन्तु आत्मा एक ही है। सेवाएं तो नाना प्रकार की होती हैं किन्तु प्रभु एक ही है। प्रभावशाली कार्य तो नाना प्रकार के होते हैं किन्तु एक ही ईश्वर द्वारा सबों में सब कार्य संपन्न होते हैं। वह प्रत्येक को वरदान देता है जिससे वह सबों के हित के लिए पवित्रात्मा को प्रकट करे। किसी को आत्मा के द्वारा प्रज्ञा के शब्द मिलते हैं, किसी को उसी आत्मा द्वारा ज्ञान के शब्द मिलते हैं और किसी को उसी आत्मा द्वारा विश्वास मिलता है। वही आत्मा किसी को रोगियों को चंगा करने का, किसी को चमत्कार दिखने का, किसी को भविष्यवाणी करने का, किसी को आत्माओं की परख करने का , किसी को भाषाएँ बोलने का और किसी को भाषाओँ की व्याख्या करने का वरदान देता है। वह अपनी इच्छा के अनुसार प्रत्येक को अलग अलग वरदान देता है।
[1Cor 12:3-11]
[1Cor 12:3-11]
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