हम उन लोगों के बिच प्रज्ञा की बातें करतें हैं जो परिपक्व हो गए हैं। यह प्रज्ञा न तो इस संसार की है और न इस संसार के अधिपतियों की जो समाप्त होने को है। हम ईश्वर की उस रहस्यमय प्रज्ञा और उद्देश्य की घोषणा करते हैं जो अब तक गुप्त रहे जिन्हें ईश्वर ने संसार की सृष्टि से पहले ही हमारी महिमा के लिए निश्चित किया था और जिन को संसार के अधिपतियों में किसिस ने नहीं जाना। यदि वे लोग उन्हें जानते तो महिमामय प्रभु को क्रूस पर नहीं चढ़ाते। हम उन बातों के विषय में बोलते हैं जिनके सम्बन्ध में धर्मग्रंथ यह कहता है - ईश्वर ने अपने भक्तों के लिए जो तैयार किया है उस को किसी ने कभी देखा नहीं किसी ने सुना नहीं और न कोई उसकी कल्पना ही कर पाया। ईश्वर ने अपने आत्मा द्वारा हम पर वही प्रकट किया है क्यूंकि आत्मा सब कुछ की ईश्वर के पास रहस्य की भी थाह लेता है।
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