प्रभु ईसा के रूप में सर्वशक्तिमान ईश्वर हममें से एक बन गए और प्रभु ईसा हमारे भाई बने। फिर भी वे ईश्वर हैं। प्रभु ईसा में दिव्यता और मनुष्यता दोनों बिना किसी विभाजन या संशय के एक हैं। कलीसिया ने लम्बे समय तक इस समस्या का सामना किया की वे प्रभु ईसा में दिव्यता और मानवता का सम्बन्ध कैसे अभिव्यक्त करें। दिव्यता और मानवता परस्पर प्रतिस्पर्धा में नहीं है जो प्रभु ईसा को आंशिक ईश्वर या आंशिक मानव बनाये। ना ही प्रभु ईसा में दिव्यता और मानवता का भ्रम है। सर्वशक्तिमान ईश्वर ने प्रभु ईसा में मनुष्य रूप धारण किया। प्रभु ईसा में दो व्यक्ति -दिव्य और मनुष्य नहीं थे। ना ही उनका स्वाभाव पूर्णतः दिव्य था। इन सब के विपरीत कलीसिया विश्वास करती की प्रभु ईसा एक ही व्यक्ति में सच्चे ईश्वर और सच्चे मनुष्य हैं।
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